सर्व शिक्षा अभियान (sarva shiksha abhiyan), जिसे हिंदी में ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के नाम से जाना जाता है, भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सभी बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है। 2002 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चे स्कूल में दाखिला लें, नियमित रूप से स्कूल जाएं, और उन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त हो। यह अभियान भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू किया गया था।

इतिहास

सर्व शिक्षा अभियान की जड़ें 1993-94 में शुरू हुए जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (DPEP) में मिलती हैं। DPEP का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना था। इस कार्यक्रम को कई चरणों में विभाजित किया गया और यह देश के 18 राज्यों के 272 जिलों को कवर करता था। DPEP के तहत कुल 50 मिलियन बच्चों को शामिल किया गया था। 2001 तक, इस कार्यक्रम में 1500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि का उपयोग किया गया था। DPEP के प्रथम चरण के प्रभाव मूल्यांकन में यह निष्कर्ष निकला कि इसने अल्पसंख्यक बच्चों के लिए महत्वपूर्ण सुधार किया, हालांकि लड़कियों के नामांकन पर इसका प्रभाव सीमित रहा।

सर्व शिक्षा अभियान का प्रारंभ

सर्व शिक्षा अभियान को 2000-2001 में शुरू किया गया, हालांकि इसे 2002 में औपचारिक रूप से लागू किया गया। यह कार्यक्रम जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (DPEP) की सफलता के आधार पर शुरू किया गया। सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य न केवल सभी बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाना था, बल्कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उनके जीवन कौशल को भी विकसित करना था। इसके तहत कई उपाय किए गए, जैसे नए स्कूलों की स्थापना, अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण, शिक्षकों की नियुक्ति, और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास।

उद्देश्य

सर्व शिक्षा अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है। इसके लिए विभिन्न लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है:

  1. नए स्कूलों की स्थापना: उन स्थानों में जहां स्कूल की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, नए स्कूल स्थापित करना।
  2. वैकल्पिक शिक्षा सुविधाओं की व्यवस्था: उन बच्चों के लिए वैकल्पिक शिक्षा की व्यवस्था करना जो नियमित स्कूल में नहीं जा सकते।
  3. मौजूदा स्कूलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: अतिरिक्त कक्षाओं, शौचालयों और पेयजल सुविधाओं के साथ मौजूदा स्कूलों को मजबूत करना।
  4. गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना: छात्रों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा और जीवन कौशल प्रदान करना।
  5. स्कूल रखरखाव और सुधार अनुदान का प्रबंधन करना: स्कूलों के रखरखाव और सुधार के लिए अनुदान का प्रबंधन करना।
  6. स्कूल वर्दी और पाठ्यपुस्तकों का निःशुल्क वितरण: स्कूल के बच्चों को मुफ्त में वर्दी और पाठ्यपुस्तक प्रदान करना।
  7. शिक्षकों की नियुक्ति: शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति करना।
  8. लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना: महिलाओं की स्थिति में बदलाव लाने के लिए लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना।
  9. विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देना: विशेष आवश्यकताओं वाले या अलग-अलग सक्षम बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देना।
  10. समान शिक्षा अवसरों को बढ़ावा देना: अनुसूचित जाति/जनजाति, भूमिहीन कृषि मजदूरों, मुस्लिम अल्पसंख्यकों आदि के परिवारों के बच्चों के लिए समान शिक्षा अवसर प्रदान करना।
  11. पारंपरिक रूप से वंचित श्रेणियों के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को समझना: पारंपरिक रूप से वंचित श्रेणियों के बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को समझना।
  12. डिजिटल विभाजन को पाटना: स्कूल के बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा प्रदान कर डिजिटल विभाजन को कम करना।
  13. मौजूदा स्कूल शिक्षकों की क्षमता और कौशल को सुदृढ़ करना और बढ़ाना: मौजूदा स्कूल शिक्षकों की क्षमता और कौशल को व्यापक प्रशिक्षण, शिक्षण सामग्री के विकास के लिए अनुदान और शैक्षणिक समर्थन संरचना के रखरखाव के माध्यम से सुदृढ़ करना।

निधि

सर्व शिक्षा अभियान की प्रारंभिक योजना में ₹7,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया था, जो 2011-12 में ₹21,000 करोड़ (US$2.5 बिलियन) हो गया। जैसे-जैसे कार्यक्रम लोकप्रिय हुआ, अधिक व्यक्ति और ट्रस्ट ने योगदान देना शुरू कर दिया, जिससे निधि में वृद्धि हुई।

विशेषताएं

सर्व शिक्षा अभियान (SSA) एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को सुनिश्चित करना है। यह कार्यक्रम सामुदायिक-स्वामित्व वाली गुणवत्ता शिक्षा के प्रावधान के माध्यम से सभी बच्चों की मानवीय क्षमताओं में सुधार का अवसर प्रदान करने का भी प्रयास है। यह कार्यक्रम पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी शिक्षा की मांग का जवाब है।

इस अभियान के तहत “स्कूल चलें हम” कविता लिखी गई थी, जिसे मेहबूब ने सर्व शिक्षा अभियान (SSA) कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए लिखा था। “पढ़े भारत बढ़े भारत” भी सर्व शिक्षा अभियान का एक उप-कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ने, लिखने और गणित की समझ को बेहतर बनाना है।

इस कार्यक्रम के तहत, ₹762 करोड़ (US$91 मिलियन) की राशि राज्यों को मंजूर की गई थी। यह कार्यक्रम न केवल पुस्तकें वितरित करेगा बल्कि शिक्षक सलाह और मूल्यांकन प्रणाली को भी शामिल करेगा।

पढ़े भारत बढ़े भारत

यह सर्व शिक्षा अभियान का एक उप-कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम कक्षा 1 और 2 के बच्चों के लिए पढ़ने, लिखने और प्रारंभिक गणित को सुधारने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके तहत, प्रिंट समृद्ध वातावरण प्रदान करने, पुस्तकों का समय पर वितरण, और नई शिक्षक मेंटरिंग और मूल्यांकन प्रणाली का समावेश किया जाएगा।

सर्व शिक्षा अभियान ने भारत में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने देश के सबसे दूरदराज के हिस्सों में शिक्षा की पहुंच को बढ़ाया है और समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान किया है। इसके तहत किए गए विभिन्न उपायों ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है और बच्चों को जीवन कौशल और मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान की है।

हालांकि, इस अभियान के कई लक्ष्यों को अभी भी पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका है, और इस दिशा में और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। फिर भी, सर्व शिक्षा अभियान भारतीय शिक्षा प्रणाली के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और यह भारत को एक साक्षर और शिक्षित राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा।