श्मशान में स्कूल : उधर मुर्दे जलते हैं, इधर बच्चे डरते हैं

shamshan me school श्मशान में स्कूल : उधर मुर्दे जलते हैं, इधर बच्चे डरते हैं
shamshan me school श्मशान में स्कूल : उधर मुर्दे जलते हैं, इधर बच्चे डरते हैं

श्मशान में स्कूल : उधर मुर्दे जलते हैं, इधर बच्चे डरते हैं

अलवर। अलवर जिले में शिक्षा विभाग की ओर से संचालित आदर्श स्कूल एक श्मशान में संचालित हो रहा है। यहां हालत यह है कि श्मशान में एकतरफ मुर्दे जलाए जाते हैं, तो दूसरी तरफ वहीं बगल में बच्चों की पढ़ाई होती है। इतना ही नहीं, श्मशान में ही बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन पर खाना बनाया जाता है। वहीं बच्चे रोज भोजन करते हैं।

अलवर जिले के गढ़ीसवाईराम गांव के आदर्श उच्च प्राथमिक विद्यालय में तब छुट्टी कर दी जाती है जब गांव में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, क्योंकि जब लाश श्मशान में जलने आती है, तो बच्चे बेहद डर जाते हैं।

आजादी से पूर्व यहां प्राथमिक विद्यालय का संचालन होता था। इसके बाद 1956 में इस स्कूल को उच्च प्राथमिक विद्यालय बना दिया गया। 1966 में इस स्कूल को राजकीय माध्यमिक विद्यालय बना कर अलग भवन में स्थनान्तरित कर दिया गया लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय यहीं पर संचालित होता रहा।

गढ़ीसवाई राम गांव के परिवारों में किसी की मौत होने पर स्कूल प्रधानाध्यापक शव का अन्तिम संस्कार होने से पूर्व ही बच्चों की तीन से चार दिनों के लिए छुट्टी कर देते हैं, ताकि बच्चे डरे नहीं, पर इसके बावजूद बच्चों के मन से खौफ नहीं जाता।

स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग की लाख कोशिशों के बावजूद आजतक इस स्कूल को जमीन नहीं उपलब्ध हो पाई है। वर्तमान में इस स्कूल में 180 बच्चे पढ़ रहे हैं। श्मशान भूमि पर दो कमरे और छतरियां बनी हुई हैं। इनमें ही बच्चों को पढ़ाया जाता है। बच्चों के प्रार्थना स्थल पर शवों का अंतिम संस्कार होता है।

शिक्षक बने विधायक, पर नहीं बदली स्कूल की तकदीर

इस स्कूल का इतिहास भी पुराना है। यहां पढ़ने वाले छात्र बड़े पदों पर भी पहुंचे। इस स्कूल के शिक्षक आनन्दीलाल बैरवा ने इसी स्कूल से पढ़ाई की और बाद में इसी विद्यालय में शिक्षक बन गए।

राजस्थान विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजगढ़ से विधायक रहे मास्टर समर्थलाल मीणा भी इस स्कूल में लंबे समय तक शिक्षक रहे, लेकिन उनके विधायक और फिर विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद भी इस स्कूल को श्मशान से छुटकारा नहीं मिल सका।

सीनियर सेंकडरी स्कूल के प्रधानाध्यापक बाबूलाल ने बताया कि डेढ़ साल पूर्व एकीकरण के तहत स्कूल को मर्ज किया गया था लेकिन उनके पास जगह का अभाव होने के कारण स्कूल यथावत संचालित हो रही है। पांच कमरे का बजट मांगा गया है। बजट मिलने पर खेल मैदान में कमरे बना कर और श्मशान भूमि की तरफ दीवार कर दूसरी तरफ गेट निकाल कर स्कूल संचालित किया जाएगा।

साभार इनाडु इंडिया